
नई दिल्ली, 10 नवम्बर। वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के विलय का चौथा चरण शुरू कर दिया है। इसके तहत, उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में 15 आरआरबी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। विलय के बाद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी। वित्तीय सेवा विभाग ने सरकारी बैंकों के प्रमुखों को भेजे पत्र में कहा, कृषि-जलवायु या भौगोलिक प्रकृति और आरआरबी की समुदायों के साथ निकटता बनाए रखने के लिए एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से इन बैंकों को और अधिक समेकित करने की जरूरत महसूस की जा रही है। इससे आरआरबी की दक्षता बढऩे के साथ लागत भी कम होगी।
आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक 4 आरआरबी
आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक चार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं। उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल में तीन-तीन, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान दो-दो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं। एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक’ के लक्ष्य के तहत इनका विलय होगा। तेलंगाना में विलय आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक की परिसंपत्तियों व देनदारियों को तेलंगाना ग्रामीण बैंक के साथ विभाजन के अधीन होगा।
51 प्रतिशत से कम नहीं होगी केंद्र की हिस्सेदारी
केंद्र ने 2004-05 में आरआरबी के समेकन की पहल की थी। इसके परिणामस्वरूप तीन चरण के विलय के जरिये 2020-21 तक ऐसे बैंकों की संख्या 196 से घटकर 43 रह गई। बता दें कि केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। विलय के बाद भी आरआरबी में केंद्र और प्रायोजक सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से कम नहीं होगी।