
सहकारी सोसाइटियों की ऑडिट के स्तर में सुधार के लिए सहकारिता रजिस्ट्रार मंजू राजपाल ने जारी किया महत्वपूर्ण परिपत्र
जयपुर, 14 नवम्बर (सहकार भारत)। सहकारिता रजिस्ट्रार, श्रीमती मंजू राजपाल ने सहकारी सोसाइटियों की ऑडिट के स्तर में सुधार के लिए महत्वपूर्ण परिपत्र जारी किया है। परिपत्र में विभागीय ऑडिटर्स की भूमिका को फिर से प्रभावशाली बनाने के लिहाज से कई बिन्दूओं को शामिल किया गया है। परिपत्र के मुताबिक लगातार घाटे वाली और वित्तीय असंतुलन वाली सहकारी समितियों की ऑडिट अब केवल विभागीय ऑडिटर ही कर सकेंगे। इसी प्रकार, किसी भी सहकारी सोसाइटी द्वारा लगातार दो साल तक चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट कराने के बाद, तीसरे साल की ऑडिट, विभागीय ऑडिटर से ही करवाने को अनिवार्य बनाया गया है।
एक महत्वपूर्ण बदलाव ये किया गया है कि किसी भी सहकारी सोसाइटी को ऑडिट करवाने के लिए सहकारिता विभाग के पैनल में शामिल, अपने जिले के ही सीए/सीएम फर्म को प्राथमिकता देनी होगी और यदि पैनल में सहकारी सोसाइटी से सम्बंधित जिले के सीए/सीए फर्म की संख्या पर्याप्त नहीं है, तो उस स्थिति में आसपास के जिलों के सीए/सीए फर्म को ऑडिट करवानी होगी। सहकारिता रजिस्ट्रार का परिपत्र
कार्यालय रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, राजस्थान जयपुर
क्रमांक फा./सविरा/ऑडिट/2024/दिनांक : 24.10.2024
परिपत्र
राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 54 एवं राजस्थान सहकारी सोसायटी नियम 2003 के नियम 73 के अन्तर्गत सहकारी सोसायटियों की वार्षिक वैधानिक लेखा परीक्षा कार्य की समीक्षा के दौरान दृष्टिगत हुआ है कि, सहकारी सोसायटियों की वार्षिक वैधानिक लेखा परीक्षा निर्धारित समय 30 सितम्बर से पूर्व पूर्ण होकर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन विभाग को प्राप्त नहीं हो रहे हैं। सहकारी सोसायटियों की वार्षिक वैधानिक लेखा परीक्षा समय पर पूर्ण नहीं होने एवं लेखा परीक्षा प्रतिवेदन नियमानुसार रजिस्ट्रार एवं सम्बन्धित संस्थाओं को प्राप्त नहीं होने के कारण अधिनियम के प्रावधानों की अवहेलना हो रही है। लेखा परीक्षक द्वारा वार्षिक वैधानिक लेखा परीक्षा सम्पन्न कर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन निर्धारित समय (30 सितम्बर से पूर्व ) प्रस्तुत करने के लिए निम्नांकित दिशा-निर्देश दिये जाते हैं- 1. राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 54(3) द्वारा वित्तीय वर्ष के लेखों की लेखा परीक्षा उस वित्तीय वर्ष समाप्ति के 6 माह के भीतर करवाये जाने का दायित्व सम्बन्धित सहकारी सोसायटी का निर्धारित है। तदनुसार प्रत्येक सोसायटी द्वारा अधिनियम की धारा 54(2) के अनुसार विहित पैनल में से लेखा परीक्षक की नियुक्ति 31 मई तक आवश्यक रूप से कर ली जावे।
2. राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 एवं नियम 2003 द्वारा निर्धारित प्रावधानानुसार यदि सहकारी समिति द्वारा विभागीय ऑडिटर से लेखा परीक्षा करवाये जाने का प्रस्ताव लिया जाता है, तो उक्त प्रस्ताव को निर्धारित समय 31 मई से पूर्व राज सहकार पोर्टल के ऑडिट मॉड्यूल में निर्धारित स्थान पर अपलोड किया जावे।
3. सहकारी सोसायटी द्वारा वार्षिक वैधानिक लेखा परीक्षा हेतु वैधानिक ऑडिटर की नियुक्ति का प्रस्ताव लिये जाते समय ध्यान रखा जावे कि, अधिकृत किये जाने वाले लेखा परीक्षक/सीए फर्म सम्बन्धित जिले में कार्यरत हो, जिन जिलों से पर्याप्त संख्या में सीए/सीए फर्म ऑडिटर पैनल में सम्मिलित नहीं हैं, ऐसे जिलों में समीपवर्ती जिलों में कार्यरत सीए/सीए फर्म ऑडिटर नियुक्त किये जा सकते हैं।
4. जिन सहकारी सोसायटियों द्वारा अधिनियमानुसार निर्धारित तिथि 31 मई तक समिति की लेखा पुस्तकों की लेखा परीक्षा हेतु ऑडिटर की नियुक्ति नहीं की गई है, उन सहकारी संस्थाओं में सम्बन्धित रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा 15 जून से पूर्व आवश्यक रूप से लेखा परीक्षक की नियुक्ति करने की सुनिश्चितता की जावे।
5. वार्षिक वैधानिक लेखा परीक्षा का कार्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण करवाये जाने के क्रम में लेखा परीक्षा कार्य की अधिकतम कार्य दिवस अवधि निर्धारित किया जाना अपेक्षित है। तदनुसार, निम्नानुसार अधिकतम कार्य अवधि अपेक्षित है:-शीर्ष बैंक हेतु – अधिकतम 02 माह
केन्द्रीय सहकारी संस्थाओं /भूमि विकास बैंक/जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ/अरबन कॉपरेटिव बैंक – अधिकतम 02 माह
क्रय विक्रय सहकारी समिति/जिला सहकारी संघ/जिला होलसेल भंडार – अधिकतम 20 दिवस।
ग्राम सेवा सहकारी समिति – अधिकतम 05 दिवस।
प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति/अन्य प्राथमिक सहकारी समितियां – अधिकतम 03 दिवस।
6. कतिपय सीए/सीए फर्म को बड़ी संख्या में सहकारी सोसायटियों द्वारा वार्षिक लेखा परीक्षा हेतु प्रस्ताव द्वारा अंकेक्षक नियुक्त कर लिया जाता है, जिसके कारण उक्त सीए/सीए फर्म द्वारा सोसाटियों की आवंटित संख्या अधिक होने के कारण निर्धारित समयावधि में सोसायटियों की लेखा परीक्षा का कार्य पूर्ण नहीं किया जाता है। उक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये सहकारी संस्थाओं के लेखा परीक्षक के रूप में एक सीए/सीए फर्म की नियुक्ति हेतु अधिकतम 30 सहकारी संस्थाओं की संख्या निर्धारित की जाती है, जिसकी पालना सीए/सीए फर्म तथा सम्बंधित रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा सुनिश्चित की जावे।
7. ग्राम सेवा सहकारी समितियों(पैक्स/लैम्प्स) के लेखा परीक्षक के रूप में एक सीए/सीए फर्म की नियुक्ति हेतु अधिकतम 15 सहकारी संस्थाओं की संख्या निर्धारित की जाती है, जिसकी पालना सीए/सीए फर्म, सम्बंधित रजिस्ट्रार कार्यालय तथा सम्बंधित सहकारी समितियों द्वारा सुनिश्चित की
जावे।
8. ग्राम सेवा सहकारी समितियों(पैक्स/लैम्प्स) की सीए/सीए फर्म द्वारा लगातार 2 वर्ष की लेखा परीक्षा उपरांत लेखा परीक्षा रोटेशन द्वारा विभागीय ऑडिटर द्वारा सम्पादित की जावेगी। उक्त बाबत सम्बन्धित संस्थाओं द्वारा भी प्रस्ताव लिये जाते समय परिपत्र के उक्त बिन्दु को दृष्टिगत रखा जावे।9. शीर्ष सहकारी संस्थाओं, केन्द्रीय सहकारी बैंकों/अरबन कॉपरेटिव बैंकों के अतिरिक्त अन्य सहकारी सोसायटियों की सीए/सीए फर्म द्वारा लगातार 2 वर्ष की लेखा परीक्षा उपरांत लेखा परीक्षा रोटेशन द्वारा विभागीय ऑडिटर द्वारा सम्पादित की जावेगी। उक्त बाबत सम्बन्धित संस्थाओं द्वारा भी प्रस्ताव लिये जाते समय परिपत्र के उक्त बिन्दु को दृष्टिगत रखा जावे।
10. सम्बन्धित विभागीय कार्यालय द्वारा वित्तीय असन्तुलन एवं निरन्तर हानि में रहने वाली पैक्स/लैम्प्स एवं सहकारी समितियों में विभागीय ऑडिटर की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की जावे।
11. सहकारी सोसायटियों की गुणवत्ता एवं विभागीय नीति के अनुरूप वार्षिक वैधानिक लेखा परीक्षा 30 सितम्बर तक पूर्ण करवाये जाने हेतु सम्बन्धित रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा मासिक अपेक्षित लक्ष्य निर्धारित कर निरन्तर मोनेटरिंग करते हुये उक्त वैधानिक दायित्व को पूर्ण करवाया जावे।
12. राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 54 एवं नियम 2003 के प्रावधानानुसार प्रस्ताव द्वारा लेखा परीक्षक की नियुक्ति कर धारा 54(3) के अनुसार 30 सितम्बर तक लेखा परीक्षा पूर्ण नहीं करवाने वाली सोसायटियों की लेखा परीक्षा हेतु सम्बन्धित रजिस्ट्रार कार्यालय तत्काल लेखा परीक्षकों की पुनर्नियुक्ति कर लेखा परीक्षा कार्य अविलम्ब पूर्ण करवायेगा।
13. राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 व नियम 2003 एवं विभाग द्वारा समय-समय पर जारी परिपत्र/आदेशों के क्रम में निर्धारित समय पर लेखा परीक्षा पूर्ण नहीं करवाने वाले सीए/सीए फर्म के विरूद्व नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी एवं भविष्य में उन्हें लेखा परीक्षा कार्य हेतु विभागीय पैनल से वंचित किया जावेगा।14. ऐसी सहकारी सोसायटी, जिनके द्वारा लेखा परीक्षक को सोसायटी की लेखा परीक्षा करवाने के लिए सोसायटी का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवा जा रहा है या ऑडिट नहीं करवा रही हैं, ऐसी सोसायटी के विरूद्ध सोसायटी के लेखा परीक्षक द्वारा नियमानुसार उक्त आशय का नोटिस जारी कर अविलम्ब सम्बंधित रजिस्ट्रार कार्यालय को लिखित में अवगत करवाया जायेगा। ऐसी स्थिति में सम्बंधित रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा सम्बंधित सोसायटी के विरूद्ध अधिनियमानुसार व विभागीय परिपत्रानुसार कार्यवाही करवाने के लिए प्रकरण तैयार कर सम्बंधित खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार/उप/सहायक रजिस्ट्रार को प्रेषित करवाया जावेगा, जिस पर सम्बंधित खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार/उप/सहायक रजिस्ट्रार सम्बंधित सोसायटी के विरूद्ध अधिनियमानुसार व विभागीय परिपत्रानुसार अविलम्ब कार्यवाही करने की सुनिश्चितता करेंगे।
15. खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार, इकाई उप रजिस्ट्रार/सहायक रजिस्ट्रार द्वारा मासिक बैठक के दौरान अपने क्षेत्र की सहकारी संस्थाओं की नियमानुसार अपेक्षित रिकॉर्ड संधारण नहीं करने तथा लेखा परीक्षा हेतु लेखा परीक्षक को अपेक्षित सूचना/रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवाने तथा ऑडिट नहीं करवाने वाली सहकारी संस्थाओं के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही की नियमित रूप से प्रत्येक माह बैठक कर मासिक समीक्षा की जावे।
16. सहकारी संस्थाओं की ऑडिट हेतु नियुक्त लेखा परीक्षक सीए/सीए फर्म सम्बंधित रजिस्ट्रार कार्यालय में आवंटित व ऑडिटेड समितियों की मासिक प्रगति रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करेंगे तथा सम्बंधित रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा बैठक आयोजित करने पर सीए/सीए फर्म के प्रतिनिधि आवश्यक रूप से सूचनाओं के साथ उपस्थित होने की सुनिश्चितता करेंगे।
17. सहकारी संस्थाओं की ऑडिट हेतु नियुक्त लेखा परीक्षकों द्वारा ऑडिट सम्पन्न करने के पश्चात लेखा परीक्षा रिपोर्ट सम्बंधित रजिस्ट्रार कार्यालय एवं सम्बंधित संस्था को एक सप्ताह में आवश्यक रूप से प्रस्तुत करेंगे।
– (मंजू राजपाल), रजिस्ट्रार