
जांच अधिकारी ने दो सप्ताह पहले जांच रिपोर्ट सौंपी, आगे की कार्यवाही का इंतजार
सहकार भारत
बीकानेर, 25 मार्च। कोऑपरेटिव सोसाइटियों में होने वाली वित्तीय अनियमितताओं और गड़बडिय़ों ने सहकारिता आंदोलन की सूरत को दागदार कर दिया है। अब बीकानेर खंड की एक और ग्राम सेवा सहकारी समिति में लगभग 89 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। संयोग से यह सहकारी समिति भी बीकानेर खंड के गंगानगर जिले में है, जहां पहले ही आधा दर्जनभर समितियां गबन, घोटालों और वित्तीय गड़बड़ी के कारण बैंक प्रबंधन का सिरदर्द बनी हुई हैं।
सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक के निर्देश पर हुई प्रारम्भिक जांच में दि गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक की लालगढ़ जाटान शाखा के अंतर्गत किसान ग्राम सेवा सहकारी समिति, लालगढ़ जाटान में बड़ी वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। जांच अधिकारी योगेश अग्रवाल, निरीक्षक कार्यकारी ने लगभग दो सप्ताह पूर्व जांच रिपोर्ट गंगानगर के उप रजिस्ट्रार दीपक कुक्कड़ को सौंप दी है, जिसमें अभी तक आगे कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
सादुल कालोनी, बीकानेरवासी विजय कुमार ने सहकारिता मंत्री को शिकायत प्रेषित कर, किसान ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक महेंद्र कुमार पर मिनी बैंक, भवन निर्माण, सदस्यों की हिस्सा राशि आदि मदों में एक करोड़ रुपये से अधिक वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम देने का आरोप लगाया था।
शिकायत में व्यवस्थापक महेंद्र कुमार पर सोसाइटी द्वारा संचालित मिनी बैंक में 51 लाख 87 हजार रुपये, नियमविरूद्ध भवन निर्माण में 38 लाख 27 हजार रुपये, प्रोत्साहन राशि के नाम पर 1 लाख 16 हजार रुपये का भुगतान करने, सदस्यों की हिस्सा राशि में 26 लाख रुपये का अंतर, कस्टम हायरिंग सेंटर की आय में गड़बड़ी, नियम विरुद्ध अधिक दीपावली बोनस उठाने, चुनाव खर्च में गड़बड़ी, दूरभाष खर्च में गड़बड़ी सहित सोसाइटी के पास पर्याप्त फण्ड उपलब्ध होने के बावजूद रजिस्ट्रार के निर्देशानुसार सहकारी शिक्षा कोष का प्रावधान नहीं करने जैसे गंभीर आरोप लगाये गये थे।
शिकायत में सोसाइटी की ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए, वैधानिक अंकेक्षण करने वाली सी.ए. फर्म धीरज लीला एंड एसोसिएट पर भी आरोप लगाया गया कि सी.ए. फर्म द्वारा किसान बहुउद्देश्यीय ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड लालगढ़ जाटान की साल 2023-24 की ऑडिट रिपोर्ट में गबन और वित्तीय अनियमितताओं को छिपाकर गबन में अपरोक्ष रूप से सहयोग किया गया।
जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में महेंद्र कुमार को मिनी बैंक की मियादी जमाओं मे 50 लाख 34 हजार रुपये तथा भवन निर्माण में 38 लाख 57 हजार रुपये की वित्तीय अनियमितताओं का दोषी माना है। इसके अलावा प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी भी पायी गयी थी, लेकिन जांच के दौरान ही, आरोपित व्यवस्थापक द्वारा 82 हजार रुपये की राशि जमा करवा दिये जाने के कारण, उसे इस आरोप में दोषमुक्त कर दिया गया।
यह तथ्य भी सामने आया कि सोसाइटी द्वारा तीन बार भवन निर्माण कराया गया, लेकिन इसके लिए न तो सहकारिता विभाग को अवगत कराया, न ही टेंडर किये और न ही आरटीपीपी एक्ट की पालना की। केवल समिति का प्रस्ताव लिया और लोगों द्वारा मिनी बैंक में जमा करवायी गयी राशि से भवन का निर्माण करवा लिया।